Chapter 1. परिमेय संख्याएँ CLASS 8:  A Great Learning

परिमेय संख्याएँ CLASS 8: नमस्ते दोस्तों! आज हम कक्षा 8 के गणित पाठ्यक्रम के पहले अध्याय “परिमेय संख्याएँ” के बारे में बात करेंगे। यह अध्याय आपके गणित के ज्ञान को मजबूत करने में बहुत मददगार साबित होगा।

इस अध्याय में हम सीखेंगे कि परिमेय संख्याएँ क्या होती हैं – ये वे संख्याएँ हैं जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं और q शून्य नहीं है।

हम इन मुख्य विषयों पर ध्यान केंद्रित करेंगे:

  • परिमेय संख्याओं के गुणधर्म और उनके साथ गणितीय क्रियाएँ
  • परिमेय संख्याओं का व्युत्क्रम और संख्या रेखा पर उनका निरूपण
0%
Created on By work guru

MATHS

Chapter 1. परिमेय संख्याएँ CLASS 8

Chapter 1. परिमेय संख्याएँ CLASS 8

परिमेय संख्याएँ: एक परिचय

कक्षा 8 के छात्रों के लिए परिमेय संख्याएँ की कार्यपत्रिका एक महत्वपूर्ण शिक्षण उपकरण है। यह छात्रों को संख्याओं की मूलभूत अवधारणाओं को समझने में मदद करती है। परिमेय संख्याएँ वे संख्याएँ हैं जिन्हें भिन्न या अंश के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।

work guru

1 / 12

Category: Maths

Tags: fraction, reciprocal

1) 2. What is the reciprocal of 7/9?

2 / 12

Category: Maths

Tags: multiplicative identity

2) 9. What is the multiplicative identity in rational numbers?

3 / 12

Category: Maths

Tags: irrational, square root

3) 3. Which of the following is not a rational number?

4 / 12

Category: Maths

Tags: additive identity

4) 8. What is the additive identity in rational numbers?

5 / 12

Category: Maths

Tags: negative fraction, reciprocal

5) 7. What is the reciprocal of -3/7?

6 / 12

Category: Maths

Tags: reciprocal

6) 14. What is the multiplicative inverse of -2?

7 / 12

Category: Maths

Tags: reciprocal

7) 4. What is the reciprocal of zero?

8 / 12

Category: Maths

Tags: closure property

8) 15. Rational numbers are closed under which operation(s)?

9 / 12

Category: Maths

Tags: addition, opposite numbers

9) 10. (-5/8) + (5/8) = ?

10 / 12

Category: Maths

Tags: integers, negative

10) 1. Is -5 a rational number?

11 / 12

Category: Maths

Tags: fraction, simplification

11) 5. Simplify (-8/12).

12 / 12

Category: Maths

Tags: multiplication

12) 6. What is the product of any two rational numbers?

Your score is

The average score is 13%

0%

इस अध्याय में सीखी गई अवधारणाएँ आपको आगे की कक्षाओं में भी बहुत काम आएँगी। चलिए शुरू करते हैं!

परिमेय संख्याएँ CLASS 8 rational numbers class 8,parimey sankhya,rational numbers in hindi,class 8 math chapter 1,properties of rational numbers,class 8 rational numbers NCERT,rational numbers representation,rational numbers examples,rational numbers questions,rational numbers practice problems

परिमेय संख्याओं का परिचय: Chapter 1. परिमेय संख्याएँ CLASS 8

परिमेय संख्याओं का परिचय

A. परिमेय संख्या की परिभाषा और स्वरूप

परिमेय संख्या एक ऐसी संख्या है जिसे p/q के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, जहां p और q दोनों पूर्णांक हैं तथा q शून्य नहीं है। इस प्रकार के व्यंजक में p को अंश और q को हर कहा जाता है। परिमेय संख्याओं को अनुपात के रूप में दर्शाया जा सकता है, जिससे इन्हें समझना और उपयोग करना आसान हो जाता है।

B. परिमेय संख्याओं के प्रकार (धनात्मक, ऋणात्मक)

परिमेय संख्याओं को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. धनात्मक परिमेय संख्याएँ: ये वे संख्याएँ हैं जो शून्य से अधिक होती हैं। धनात्मक परिमेय संख्या का व्युत्क्रम भी धनात्मक परिमेय संख्या ही होता है। उदाहरण के लिए, यदि 3/4 एक धनात्मक परिमेय संख्या है, तो इसका व्युत्क्रम 4/3 भी एक धनात्मक परिमेय संख्या होगी।
  2. ऋणात्मक परिमेय संख्याएँ: ये वे संख्याएँ हैं जो शून्य से कम होती हैं। ऋणात्मक परिमेय संख्या का व्युत्क्रम भी ऋणात्मक परिमेय संख्या ही होता है। यह ध्यान देने योग्य है कि एक ऋणात्मक परिमेय संख्या का ऋणात्मक सदैव एक धनात्मक परिमेय संख्या होती है।

C. पूर्णांक और परिमेय संख्याओं का संबंध

पूर्णांक और परिमेय संख्याओं के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है। प्रत्येक पूर्णांक एक परिमेय संख्या है। यह इसलिए सत्य है क्योंकि किसी भी पूर्णांक को हम p/1 के रूप में लिख सकते हैं, जहां p वह पूर्णांक है जिसे हम परिमेय रूप में व्यक्त करना चाहते हैं।

उदाहरण के लिए:

  • 5 को हम 5/1 के रूप में लिख सकते हैं
  • -7 को हम -7/1 के रूप में लिख सकते हैं
  • 0 को हम 0/1 के रूप में लिख सकते हैं

इस प्रकार, सभी पूर्णांक परिमेय संख्याओं का एक उपसमुच्चय (subset) बनाते हैं, लेकिन सभी परिमेय संख्याएँ पूर्णांक नहीं होतीं। अतः, पूर्णांकों का समुच्चय परिमेय संख्याओं के समुच्चय का एक उचित उपसमुच्चय है।

परिमेय संख्याओं के गुणधर्म

परिमेय संख्याओं के गुणधर्म

A. योग, व्यवकलन, गुणन और विभाजन के नियम

परिमेय संख्याओं के साथ गणितीय संक्रियाएँ भिन्नों के समान ही की जाती हैं। परिमेय संख्याओं में योग, व्यवकलन (घटाना), गुणन और विभाजन (भाग) उसी प्रकार किए जाते हैं, जैसे भिन्नों में किए जाते हैं। इन संक्रियाओं के अंतर्गत, परिमेय संख्याओं की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वे योग, व्यवकलन और गुणन की संक्रियाओं के अंतर्गत संवृत होती हैं। इसका अर्थ है कि जब दो परिमेय संख्याओं को जोड़ा, घटाया या गुणा किया जाता है, तो परिणाम भी एक परिमेय संख्या ही होता है।

B. क्रमविनिमेय और सहचारी गुणधर्म

परिमेय संख्याओं के क्रमविनिमेय और सहचारी गुणधर्म इनके व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

क्रमविनिमेय गुणधर्म:

  • परिमेय संख्याओं के लिए योग की संक्रिया क्रमविनिमेय होती है। अर्थात, यदि a और b परिमेय संख्याएँ हैं, तो a + b = b + a होता है।
  • इसी प्रकार, परिमेय संख्याओं के लिए गुणन की संक्रिया भी क्रमविनिमेय होती है। अर्थात, a × b = b × a होता है।
  • यह गुणधर्म दर्शाता है कि परिमेय संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ा या गुणा किया जा सकता है, परिणाम समान रहेगा।
  • परन्तु यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि परिमेय संख्याओं का व्यवकलन क्रम विनिमेय नहीं होता है। यानी, a – b ≠ b – a (जब a ≠ b)।

सहचारी गुणधर्म:

  • परिमेय संख्याओं के लिए योग की संक्रिया सहचारी होती है। अर्थात, (a + b) + c = a + (b + c)।
  • इसी प्रकार, गुणन की संक्रिया भी सहचारी होती है। अर्थात, (a × b) × c = a × (b × c)।

C. तत्समक गुणधर्म (योज्य और गुणनात्मक)

परिमेय संख्याओं में तत्समक गुणधर्म भी महत्वपूर्ण हैं:

योज्य तत्समक:

  • परिमेय संख्याओं के लिए, 0 योज्य तत्समक के रूप में कार्य करता है।
  • इसका अर्थ है कि किसी भी परिमेय संख्या a के लिए, a + 0 = 0 + a = a होता है।

गुणनात्मक तत्समक:

  • परिमेय संख्याओं के लिए, 1 गुणनात्मक तत्समक के रूप में कार्य करता है।
  • इसका अर्थ है कि किसी भी परिमेय संख्या a के लिए, a × 1 = 1 × a = a होता है।

इन गुणधर्मों के माध्यम से परिमेय संख्याओं की प्रकृति और उनके बीच संबंधों को समझना आसान हो जाता है, जो विभिन्न गणितीय समस्याओं को हल करने में सहायक होता है।

परिमेय संख्याओं का व्युत्क्रम

परिमेय संख्याओं का व्युत्क्रम

धनात्मक और ऋणात्मक परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम

परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम का अध्ययन करते समय हमें यह समझना महत्वपूर्ण है कि संख्याओं की प्रकृति उनके व्युत्क्रम की प्रकृति को कैसे प्रभावित करती है। धनात्मक और ऋणात्मक परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम के संबंध में निम्नलिखित नियम लागू होते हैं:

  • एक धनात्मक परिमेय संख्या का व्युत्क्रम हमेशा धनात्मक परिमेय संख्या होता है।
  • एक ऋणात्मक परिमेय संख्या का व्युत्क्रम हमेशा ऋणात्मक परिमेय संख्या होता है।

इसका अर्थ है कि व्युत्क्रम लेने पर संख्या का चिह्न परिवर्तित नहीं होता है।

विशेष परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम (0, 1, -1)

कुछ विशेष परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम की विशेष विशेषताएँ होती हैं:

  • शून्य (0) का व्युत्क्रम: शून्य का कोई व्युत्क्रम नहीं होता है। यह गणित का एक महत्वपूर्ण तथ्य है, क्योंकि शून्य से विभाजन अपरिभाषित होता है।
  • संख्या 1 का व्युत्क्रम: संख्या 1 स्वयं अपना व्युत्क्रम है। अर्थात, 1 का व्युत्क्रम 1 ही होता है।
  • संख्या -1 का व्युत्क्रम: संख्या -1 भी स्वयं अपना व्युत्क्रम है। अर्थात, -1 का व्युत्क्रम -1 ही होता है।

इन विशेष मामलों को समझना परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम के सिद्धांत को समझने में महत्वपूर्ण है।

व्युत्क्रम के गुणधर्म और नियम

परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम के कुछ महत्वपूर्ण गुणधर्म और नियम निम्नलिखित हैं:

  • शून्य का व्युत्क्रम: वह परिमेय संख्या जिसका कोई व्युत्क्रम नहीं है, वह केवल 0 है। यह इसलिए है क्योंकि शून्य से विभाजन अपरिभाषित होता है।
  • स्वयं के समान व्युत्क्रम वाली संख्याएँ: ऐसी परिमेय संख्याएँ जो अपने व्युत्क्रम के समान हैं, वे हैं 1 और -1। ये दो ऐसी विशेष संख्याएँ हैं जो स्वयं अपने व्युत्क्रम के बराबर होती हैं।
  • शून्य का विशेष गुणधर्म: वह परिमेय संख्या जो अपने ऋणात्मक के समान है, वह केवल 0 है। यह गुणधर्म शून्य की विशेष प्रकृति को दर्शाता है।

ये गुणधर्म और नियम परिमेय संख्याओं के व्युत्क्रम के संबंध में महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं और अन्य गणितीय संक्रियाओं में इनका उपयोग होता है।

Chapter 1. परिमेय संख्याएँ CLASS 8

परिमेय संख्याओं का निरूपण

परिमेय संख्याओं का निरूपण

संख्या रेखा पर परिमेय संख्याओं का निरूपण

परिमेय संख्याओं को एक संख्या रेखा पर आसानी से निरूपित किया जा सकता है। संख्या रेखा परिमेय संख्याओं के मूल्य और उनके बीच के संबंधों को समझने में सहायता करती है। प्रत्येक परिमेय संख्या का संख्या रेखा पर एक विशिष्ट स्थान होता है, जिससे उनकी तुलना और विश्लेषण सरल हो जाता है।

दो परिमेय संख्याओं के बीच अन्य परिमेय संख्याएँ ज्ञात करना

किन्हीं दो दी गई परिमेय संख्याओं के बीच अपरिमित रूप से अनेक परिमेय संख्याएँ होती हैं। यह परिमेय संख्याओं की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। उदाहरण के लिए, -2 और -5 के बीच में -3 और -4 दो परिमेय संख्याएँ हैं। परंतु इन दोनों संख्याओं के बीच केवल ये दो ही संख्याएँ नहीं हैं, बल्कि अनंत परिमेय संख्याएँ विद्यमान हैं।

इसी प्रकार, किन्हीं भी दो परिमेय संख्याओं के बीच हमेशा अनंत परिमेय संख्याएँ पाई जा सकती हैं। यह गुणधर्म परिमेय संख्याओं को घनत्व की विशेषता प्रदान करता है, अर्थात संख्या रेखा पर कोई भी दो बिंदु लें, उनके बीच हमेशा एक परिमेय संख्या मौजूद होगी।

माध्य की धारणा द्वारा परिमेय संख्याएँ ज्ञात करना

दी हुई दो परिमेय संख्याओं के बीच में परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने के लिए, माध्य की धारणा अत्यंत सहायक होती है। माध्य निकालकर हम दो संख्याओं के बीच की एक संख्या प्राप्त कर सकते हैं।

दो परिमेय संख्याओं a और b का माध्य (a+b)/2 होता है। उदाहरण के लिए, -2 और -5 का माध्य (-2+(-5))/2 = -7/2 = -3.5 होगा। इस प्रकार, -3.5 एक ऐसी परिमेय संख्या है जो -2 और -5 के बीच स्थित है।

माध्य की धारणा का उपयोग करके हम दो परिमेय संख्याओं के बीच की अनंत परिमेय संख्याओं को क्रमबद्ध तरीके से खोज सकते हैं। यह विधि विशेष रूप से उपयोगी है जब हमें दो संख्याओं के बीच की संख्याओं का एक व्यवस्थित क्रम चाहिए।

परिमेय संख्याओं पर प्रश्नावली

परिमेय संख्याओं पर प्रश्नावली

A. बहुविकल्पीय प्रश्न और उनके हल

प्रश्न 1: एक संख्या, जिसे p/q के रूप में व्यक्त किया जा सके, जहां p और q पूर्णांक हैं तथा q शून्य नहीं है, कहलाती है:

  • उत्तर: परिमेय संख्या

प्रश्न 2: निम्न में से कौन सत्य नहीं है?

  • विकल्प और उत्तर का संदर्भ दिया गया है

प्रश्न 4: दी हुई दो परिमेय संख्याओं के बीच में, हम ज्ञात कर सकते हैं –

  • उत्तर: अपरिमित रूप से अनेक परिमेय संख्याएं

B. रिक्त स्थान भरने के प्रश्न

  1. एक धनात्मक परिमेय संख्या का व्युत्क्रम धनात्मक परिमेय संख्या होता है।
  2. एक ऋणात्मक परिमेय संख्या का व्युत्क्रम ऋणात्मक परिमेय संख्या होता है।
  3. शून्य का व्युत्क्रम नहीं है।
  4. संख्याएँ 1 और -1 स्वयं अपने व्युत्क्रम हैं।
  5. 1 का ऋणात्मक -1 है।
  6. किन्हीं दो परिमेय संख्याओं के बीच में अपरिमित रूप से अनेक परिमेय संख्याएँ स्थित हैं।
  7. एक ऋणात्मक परिमेय संख्या का ऋणात्मक सदैव एक धनात्मक परिमेय संख्या होती है।
  8. परिमेय संख्याओं को किसी भी क्रम में जोड़ा या गुणा किया जा सकता है।
  9. -2 और -5 के बीच स्थित हर 1 वाली दो परिमेय संख्याएँ -3 और -4 हैं।

C. सत्य-असत्य प्रश्न और उनके हल

  1. किसी परिमेय संख्या के ऋणात्मक का ऋणात्मक स्वयं वह संख्या ही होती है। (सत्य)
  2. 0 के ऋणात्मक का कोई अस्तित्व नहीं है। (सत्य)
  3. केवल 1 ही ऐसी परिमेय संख्या है, जो स्वयं अपना व्युत्क्रम है। (असत्य)
    • यह असत्य है क्योंकि -1 भी स्वयं अपना व्युत्क्रम है।
  4. किन्हीं दो परिमेय संख्याओं के बीच में ठीक दस परिमेय संख्याएँ स्थित होती हैं। (असत्य)
    • यह असत्य है क्योंकि दो परिमेय संख्याओं के बीच अपरिमित परिमेय संख्याएँ होती हैं।
  5. परिमेय संख्याएँ योग और गुणन के अंतर्गत संवृत हैं, परंतु व्यवकलन के अंतर्गत संवृत नहीं हैं। (असत्य)
    • परिमेय संख्याएँ व्यवकलन के अंतर्गत भी संवृत हैं।
  6. परिमेय संख्याओं का व्यवकलन क्रम विनिमेय है। (असत्य)
    • व्यवकलन क्रम विनिमेय नहीं होता है, क्योंकि a-b ≠ b-a।
  7. प्रत्येक पूर्णांक एक परिमेय संख्या है। (सत्य)
  8. परिमेय संख्याओं को संख्या रेखा पर निरूपित किया जा सकता है। (सत्य)
  9. एक ऋणात्मक परिमेय संख्या का ऋणात्मक एक धनात्मक परिमेय संख्या होती है। (सत्य)

परिमेय संख्याओं के इस अध्याय में हमने देखा कि कैसे p/q रूप में व्यक्त की जाने वाली संख्याएँ कई महत्वपूर्ण गुणधर्मों से युक्त होती हैं। हमने सीखा कि परिमेय संख्याएँ योग, व्यवकलन, गुणन और विभाजन की संक्रियाओं के अंतर्गत संवृत होती हैं, तथा इन्हें संख्या रेखा पर निरूपित किया जा सकता है। व्युत्क्रम की अवधारणा और दो परिमेय संख्याओं के बीच अपरिमित परिमेय संख्याओं के अस्तित्व ने हमारी समझ को और गहरा किया है।

कक्षा 8 के इस महत्वपूर्ण विषय को समझना आगे की कक्षाओं में बीजगणित और अन्य गणितीय अवधारणाओं के लिए आधारशिला का काम करेगा। प्रश्नावली के हल का अभ्यास करके आप अपनी समझ को और मजबूत कर सकते हैं। याद रखें, गणित केवल सूत्रों को याद करने से नहीं, बल्कि अवधारणाओं को समझने और अभ्यास करने से आता है।

work guru
work guru

Worksheetguru.in is a helpful website that makes learning fun and easy for students of all ages. This online platform offers thousands of free worksheets covering many subjects like math, science, English, and social studies. Teachers and parents love using this site because they can quickly find practice sheets for any topic their kids need to work on.

Articles: 108

Newsletter Updates

Enter your email address below and subscribe to our newsletter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *